आंगनवाड़ी में पारंपरिक खिलौनों और लोरियों से बच्चों की पढ़ाई क्यों महत्वपूर्ण है? स्मृति ईरानी ने बताया

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने हाल ही में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा के महत्व पर जोर दिया, जिसमें बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाने का सुझाव दिया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इसका मतलब यह नहीं है कि बच्चों पर किताबों का बोझ लाद दिया जाए।

आंगनवाड़ी में बच्चों के जीवन में खेल और मजा लाना जरूरी – स्मृति ईरानी

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने, तब सरकार ने 30 वर्षों के बाद नई शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करना शुरू किया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि बच्चों के पहले 6 वर्षों को नजरअंदाज क्यों किया जाता है। जब बच्चा स्कूल जाता है, तब हम सोचते हैं कि अब उसे पढ़ाई कैसे करवाई जाए। पीएम मोदी ने कहा कि क्या हम गतिविधियों और मजेदार तरीकों से सीखने को बच्चे के जीवन का हिस्सा बना सकते हैं।

नई शिक्षा नीति और प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा

स्मृति ईरानी ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत लगभग 11 करोड़ 30 लाख बच्चों में से 8 करोड़ बच्चे आंगनवाड़ी केंद्रों से होकर शैक्षिक संस्थानों में जाते हैं। सरकार इन बच्चों को प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा का अनुभव प्रदान कर रही है। इसका मतलब यह नहीं है कि बच्चों पर किताबों का बोझ डाल दिया जाए। उन्होंने कहा कि राज्यों के साथ मिलकर खिलौनों, ऑडियो-वीडियो सामग्री और गीत-संगीत के माध्यम से पढ़ाई को प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे बच्चों का शिक्षा के प्रति रुचि बढ़े।

आंगनवाड़ी में खिलौनों के माध्यम से शिक्षा का महत्व

स्मृति ईरानी ने यह भी बताया कि पारंपरिक खिलौनों के माध्यम से बच्चों की शिक्षा क्यों महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि खिलौने बच्चों के लिए सिर्फ खेल का साधन नहीं हैं, बल्कि उनके मानसिक और शारीरिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि खिलौनों के माध्यम से बच्चे न सिर्फ खेलते हैं, बल्कि सीखते भी हैं। यह उनकी कल्पनाशीलता को बढ़ावा देता है और उन्हें समस्याओं को हल करने में मदद करता है।

संस्कृति और परंपरा के माध्यम से शिक्षा पर जोर

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि सरकार ने तय कर दिया है कि बच्चों को कौन से खिलौने इस्तेमाल करने हैं। उन्होंने बताया कि सरकार ने हर राज्य से कहा है कि बच्चों के पालन-पोषण में उनकी सांस्कृतिक धरोहर को साझा किया जाए। यह सबसे अच्छी प्रैक्टिस पूरे देश के साथ साझा की गई है। अब हर राज्य अपनी संस्कृति को ध्यान में रखते हुए बच्चों को पोषण और शिक्षा दोनों प्रदान कर रहा है।

शिक्षा में परंपराओं का समावेश

स्मृति ईरानी ने कहा कि हर राज्य की अपनी अनूठी परंपराएं और संस्कृति होती है, और इसे शिक्षा में शामिल करना बच्चों के लिए फायदेमंद हो सकता है। उन्होंने बताया कि बच्चों को पारंपरिक खेल और गतिविधियों के माध्यम से शिक्षित करने से न सिर्फ उनकी जड़ों से जुड़ाव होता है, बल्कि उनका मानसिक और सामाजिक विकास भी होता है।

खेल-खेल में पढ़ाई का महत्व

स्मृति ईरानी ने कहा कि खेल-खेल में पढ़ाई से बच्चों में शिक्षा के प्रति रुचि बढ़ती है और वे आनंद के साथ सीखते हैं। उन्होंने बताया कि यह तरीका बच्चों के लिए बोझिल नहीं होता और वे इसे आसानी से अपनाते हैं। बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाई कराने से उनका समग्र विकास होता है और वे विभिन्न कौशलों को भी विकसित करते हैं।

समग्र विकास की दिशा में कदम

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार का उद्देश्य बच्चों के समग्र विकास की दिशा में कदम बढ़ाना है। इसके लिए शिक्षा नीति में व्यापक बदलाव किए गए हैं और इसे प्रभावी बनाने के लिए विभिन्न राज्यों के साथ मिलकर काम किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार का उद्देश्य बच्चों को न सिर्फ शैक्षिक ज्ञान प्रदान करना है, बल्कि उन्हें जीवन कौशल, सांस्कृतिक धरोहर और नैतिक मूल्यों से भी अवगत कराना है।

अमृतकाल की आंगनवाड़ी – एक नई पहल

स्मृति ईरानी ने “अमृतकाल की आंगनवाड़ी” कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। इस कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों को पारंपरिक खिलौनों और गतिविधियों के माध्यम से शिक्षित किया जा रहा है, जिससे उनकी शिक्षा को रोचक और प्रभावी बनाया जा सके।

इस प्रकार, स्मृति ईरानी ने आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाने के महत्व और उसकी जरूरत पर जोर दिया। यह न सिर्फ बच्चों के विकास में सहायक होगा, बल्कि उन्हें उनकी जड़ों से भी जोड़े रखेगा। उनके अनुसार, बच्चों के जीवन में खेल और मजा लाने से उनकी शिक्षा का अनुभव न सिर्फ आनंदमय होगा, बल्कि स्थायी भी होगा।

Leave a Comment